एजीआर मामले में देश को गुमराह

 सुप्रीम कोर्ट ने 1.47 लाख करोड़ रुपए के एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) मामले में कहा है कि टेलीकॉम कंपनियों पर बकाया राशि का फिर से आकलन (रीएसेसमेंट) करना कोर्ट की अवमानना होगी। जरूरत पड़ी तो हम सभी टेलीकॉम कंपनियों के एमडी को कोर्ट बुलाकर यहीं से जेल भेज सकते हैं। सरकार ने एजीआर के रीएसेसमेंट की इजाजत दी तो यह धोखा होगा। अगर कंपनियों को सेल्फ एसेसमेंट की इजाजत देंगे तो हम भी इस फ्रॉड में पार्टी बन जाएंगे। यह कोर्ट की प्रतिष्ठा का सवाल है। 


सरकार ने ब्याज-पेनल्टी की वसूली के लिए लिए पूरा जोर लगाया था, अब राहत क्यों मांगी जा रही : कोर्ट


एजीआर विवाद में कोर्ट ने 24 अक्टूबर को दूरसंचार विभाग के पक्ष में फैसला देते हुए टेलीकॉम कंपनियों को ब्याज और पेनल्टी समेत बकाया चुकाने का आदेश दिया था। दूरसंचार विभाग के मुताबिक टेलीकॉम कंपनियों पर 1.47 लाख करोड़ रुपए बकाया हैं, लेकिन वे सेल्फ एसेसमेंट कर पार्ट पेमेंट कर रही हैं। उधर, दूरसंचार विभाग ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर टेलीकॉम कंपनियों को बकाया भुगतान के लिए 20 साल का समय देने पर विचार करने की अपील की थी। साथ ही बकाया राशि पर पेनल्टी और ब्याज में राहत देने की अपील भी की गई थी। कोर्ट ने कहा कि एजीआर मामले की सुनवाई के दौरान ब्याज और पेनल्टी के लिए सरकार ने पूरा जोर लगा दिया था, लेकिन अब राहत की मांग क्यों की जा रही है?


'एजीआर मामले में देश को गुमराह किया जा रहा'


अदालत ने कहा कि जब टेलीकॉम डिपार्टमेंट की डिमांड मानी जा चुकी है तो फिर से आकलन कैसे किया जा सकता है। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि रीएसेसमेंट और इस मामले को फिर से खोलने की इजाजत किसने दी? जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने कहा कि अदालत ने तो रीएसेसमेंट की इजाजत नहीं दी तो क्या हम मूर्ख हैं? इस मामले में जो कुछ भी हो रहा है वह चौंकाने वाला है। पूरे देश को गुमराह किया जा रहा है। टेलीकॉम कंपनियों को सेल्फ एसेसमेंट की इजाजत दी गई तो हम दूरसंचार सचिव या इजाजत देने वाले डेस्क ऑफिसर को तलब कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि कंपनियों ने कमाई की है, उन्हें भुगतान भी करना होगा। सेल्फ एसेसमेंट या री एसेसमेंट किया तो उन्हें अवमानना का दोषी माना जाएगा।









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'झूठी खबरें छपीं तो टेलीकॉम कंपनियों के एमडी जिम्मेदार होंगे'


कोर्ट ने कहा है कि 24 अक्टूबर 2019 के फैसले के मुताबिक ही टेलीकॉम कंपनियों को ब्याज और पेनल्टी चुकानी होगी। कंपनियों को ज्यादा समय देने की सरकार की याचिका पर अगली सुनवाई में विचार किया जाएगा। अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी। कोर्ट ने एजीआर मामले में छप रही खबरों पर भी नाराजगी जताई। अदालत ने कहा कि अब झूठी खबरें छपीं तो टेलीकॉम कंपनियों के एमडी जिम्मेदार होंगे। ऐसी खबरों से कोर्ट प्रभावित नहीं होगा। एजीआर मामले में हमारा फैसला आखिरी है। टेलीकॉम कंपनियां सेल्फ एसेसमेंट कर रही हैं